शीत लहर

24 घंटों के भीतर तापमान में तेज़ी से गिरावट को शीत लहर कहते है, फलस्वरूप कृषि, उद्योग, वाणिज्य और सामाजिक गतिविधियों के लिये अत्यधिक सुरक्षा की आवश्यकत


24 घंटों के भीतर तापमान में तेज़ी से गिरावट को शीत लहर कहते है, फलस्वरूप कृषि, उद्योग, वाणिज्य और सामाजिक गतिविधियों के लिये अत्यधिक सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

शीत लहर की स्थिति:

मैदानी इलाकों के लिये शीतलहर की घोषणा तब की जाती है जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो और लगातार दो दिनों तक सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस कम हो। 'अत्यंत' ठंडा दिन तब माना जाता है जब अधिकतम तापमान सामान्य से कम-से-कम 6.5 डिग्री कम होता है। तटीय स्थानों पर न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस शायद ही कभी होता है। ठंडी हवा की गति के आधार पर न्यूनतम तापमान कुछ डिग्री कम हो जाता है जो स्थानीय लोगों के लिये परेशानी का कारण बनता है।हवा के तापमान पर शीतलन प्रभाव के माप को विंड चिल फैक्टर कहते है।

भारत का मुख्य शीत लहर क्षेत्र:

'प्रमुख शीत लहर' क्षेत्र के अंतर्गत पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और तेलंगाना आदि आते हैं।

भारत में शीत लहर का कारण:

क्षेत्र में बादलों के आच्छादन का अभाव: बादल कुछ उत्सर्जित अवरक्त विकिरण को वापस परावर्तित कर देते हैं, जिससे पृथ्वी गर्म हो जाती है, किंतु बादलों की अनुपस्थिति से क्षेत्र में यह प्रक्रिया नहीं हो पाती है। ऊपरी हिमालय में बर्फबारी से इन क्षेत्रों की ओर ठंडी हवाओं का चलना। इस क्षेत्र में ठंडी हवा का अधोगमन (Subsidence): ठंडी एवं शुष्क वायु का पृथ्वी की सतह के पास नीचे की ओर गति हवाओं का अधोगमन (Subsidence of Air) कहलाता है।

ला नीना: प्रशांत महासागर इस समय ला नीना की स्थिति का सामना कर रहा है। ला नीना प्रशांत महासागर के ऊपर होने वाली एक जटिल मौसमी घटना है जिसका विश्व भर के मौसम पर व्यापक असर पड़ता है, यह स्थिति शीत लहर को प्रोत्साहित करती है।ला नीना वर्षों के दौरान ठंड की स्थिति अत्यंत तीव्र हो जाती है और शीत लहर की आवृत्ति एवं क्षेत्र बढ़ जाता है।

पश्चिमी विक्षोभ: पश्चिमी विक्षोभ भारत में शीत लहर का कारण बन सकता है। पश्चिमी विक्षोभ मौसम प्रणालियाँ हैं जो भूमध्य सागर में उत्पन्न होती हैं और पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं, जो भारत के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में ठंडी हवाएँ, वर्षा और बादल का निर्माण करती हैं। इन विक्षोभ से तापमान में गिरावट आ सकती है एवं शीत लहर की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। हालाँकि सभी पश्चिमी विक्षोभ शीत लहर की स्थिति उत्पन्न नहीं करते हैं।